Sachin Pilgaonkar said:रमेश सिप्पी सिर्फ अमिताभ, धर्मेंद्र और संजीव कुमार को निर्देशित करने के लिए शोले के सेट पर आते थे, अमजद खान और मैंने संभाला था सेकंड यूनिट: सचिन का खुलासा
बॉलीवुड की अब तक की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक ‘शोले’ से जुड़े कई किस्से और कहानियां वर्षों से सुर्खियों में रही हैं। 1975 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। निर्देशक रमेश सिप्पी की यह फिल्म न केवल अपने एक्शन और कहानी के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके निर्देशन और कलाकारों के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भी मशहूर है।
हाल ही में, शोले में अहम भूमिका निभाने वाले अभिनेता सचिन पिलगांवकर ने फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा साझा किया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने खुलासा किया कि शोले के सेट पर रमेश सिप्पी केवल मुख्य अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, और संजय कुमार को निर्देशित करने के लिए आते थे, जबकि फिल्म के कई अन्य हिस्से अमजद खान और सचिन खुद संभालते थे। आइए, इस ख़ास किस्से और रमेश सिप्पी की निर्देशन शैली के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सचिन पिलगांवकर का खुलासा: सेकंड यूनिट की जिम्मेदारी
सचिन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि “शोले” जैसी मेगा बजट फिल्म में सेकंड यूनिट की अहम भूमिका थी। उन्होंने कहा कि निर्देशक रमेश सिप्पी अपने करियर के उस पड़ाव पर थे, जब वह केवल मुख्य कलाकारों के दृश्यों को निर्देशित करने पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे थे। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, और संजीव कुमार के सीन इतने अहम थे कि उन्हें निर्देशित करने के लिए रमेश सिप्पी खुद आते थे। वहीं, अन्य सीन जैसे कि कॉमेडी, फाइट सीक्वेंस, और सपोर्टिंग कास्ट से जुड़े शॉट्स को संभालने की जिम्मेदारी सेकंड यूनिट पर थी, जिसे अमजद खान और खुद सचिन पिलगांवकर संभालते थे।
अमजद खान का योगदान
अमजद खान, जिन्होंने शोले में विलेन गब्बर सिंह का ऐतिहासिक किरदार निभाया, वह सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि फिल्म निर्माण में भी उनकी गहरी समझ थी। सचिन ने बताया कि अमजद खान, सेकंड यूनिट के हिस्से में आने वाले दृश्यों के निर्देशन में भी अपनी सलाह और सुझाव देते थे। कई बार रमेश सिप्पी के निर्देशों का पालन करते हुए, अमजद खान और सचिन ने मिलकर कई छोटे लेकिन महत्वपूर्ण सीन्स की शूटिंग की।
यह खुलासा बताता है कि अमजद खान सिर्फ एक अभिनेता के तौर पर ही नहीं बल्कि एक सक्षम फिल्मकार के रूप में भी फिल्म के लिए काफी योगदान दे रहे थे। शोले में उनके किरदार गब्बर सिंह ने जितनी शोहरत हासिल की, उतना ही उनका फिल्म निर्माण के तकनीकी पहलुओं में भी योगदान था, जो कम ही लोगों को पता था।
सेकंड यूनिट का महत्व
बड़ी फिल्मों के निर्माण में अक्सर दो या उससे अधिक यूनिट्स का इस्तेमाल किया जाता है। सेकंड यूनिट का काम मुख्यतः ऐसे दृश्यों की शूटिंग करना होता है जो मुख्य कहानी से जुड़े होते हैं, लेकिन उनके लिए मुख्य निर्देशक की पूरी उपस्थिति जरूरी नहीं होती। इन सीन्स में अक्सर सपोर्टिंग कास्ट, एक्शन सीक्वेंस, या सेट से जुड़े अन्य कार्य शामिल होते हैं।
सचिन ने बताया कि शोले के सेकंड यूनिट में काम करना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्होंने कहा कि रमेश सिप्पी ने उन पर और अमजद खान पर पूरा विश्वास जताया और सेकंड यूनिट के सभी दृश्यों को सफलतापूर्वक फिल्माने की जिम्मेदारी सौंपी।
रमेश सिप्पी की निर्देशन शैली
रमेश सिप्पी बॉलीवुड के उन निर्देशकों में से एक हैं, जिनकी हर फिल्म निर्देशन में बारीकी और परफेक्शन की मिसाल होती है। उनकी निर्देशन शैली में तकनीक और कहानी का बेहतरीन मिश्रण होता है। शोले के हर फ्रेम में सिप्पी साहब का अनुभव और कला झलकती है।
सचिन के इस खुलासे से यह साफ हो जाता है कि सिप्पी ने अपनी यूनिट के लोगों पर कितना भरोसा किया था। उन्होंने फिल्म के मुख्य दृश्यों के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई और अन्य दृश्यों को सेकंड यूनिट के हवाले किया। यह उनकी निर्देशन की समझ और विश्वास को दर्शाता है।
शोले की फिल्मांकन प्रक्रिया
शोले के निर्माण के दौरान फिल्म का हर हिस्सा बड़े ध्यान और मेहनत से फिल्माया गया था। सचिन ने बताया कि सेकंड यूनिट के अंतर्गत आने वाले कई कॉमेडी सीक्वेंस और छोटे-मोटे एक्शन सीन्स को फिल्माने का जिम्मा था। इनमें उनकी खुद की भूमिका और अन्य सह कलाकारों के सीन शामिल थे।
इसके अलावा, फिल्म की लोकेशन, जैसे रामगढ़ का सेट और गब्बर सिंह के किले की शूटिंग को भी सेकंड यूनिट द्वारा नियंत्रित किया गया था। जबकि मुख्य सीनों के लिए रमेश सिप्पी सेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करते थे।
शोले: एक मील का पत्थर
शोले भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह फिल्म न केवल अपने विशाल बजट और स्टारकास्ट के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी निर्देशन शैली और पटकथा के लिए भी बेहद चर्चित है। फिल्म के कई दृश्य आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं, और इसका निर्देशन आज भी फिल्म छात्रों के लिए एक अध्ययन का विषय बना हुआ है।
अमजद खान और सचिन की मेहनत
सचिन और अमजद खान की मेहनत को लोग कम ही जानते हैं, लेकिन शोले में उनके निर्देशन और अभिनय के अलावा तकनीकी समझ ने फिल्म को और भी बेहतरीन बनाया। सेकंड यूनिट की जिम्मेदारी केवल कैमरे के सामने खड़े होने तक सीमित नहीं थी, बल्कि फिल्म के निर्माण के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भी संभालना था।
सचिन के इस खुलासे ने यह साबित कर दिया कि अमजद खान सिर्फ एक प्रतिभाशाली अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि वे निर्देशन और फिल्म निर्माण के अन्य पहलुओं में भी निपुण थे।
शोले के सेट पर की गई कोशिशें
सेट पर रमेश सिप्पी के निर्देशन में मुख्य किरदारों के साथ काम करना एक बड़ा अनुभव था, लेकिन फिल्म की पूरी यूनिट के साथ तालमेल बनाकर काम करना और सेकंड यूनिट को संभालना एक बड़ी चुनौती थी। सचिन और अमजद खान ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और यह सुनिश्चित किया कि फिल्म के हर सीन में परफेक्शन हो।